Sunday, October 28, 2012

NON-VIOLENCE 2

अहिँसा क्या हैँ? अहिँसा कोई अस्त्र-शस्त्र या कोई मंत्र नही , जिसे चलाकर, फेँककर या अच्चारण कर के किसी को घायल या मुक्त या भगाया जा सकता है(जैसे हनुमान चालिसा) अहिँसा तो अंदर का भाव है भव,और इस भाव का जो अनुभव कर लिया-पहचान लिया तो वह अहिँसा का सच्चा पुजारी हो जायेगा! पुजारी कहने का मतलब हमारा यह नही है कि वह पत्थर को रख लेगा ,उसे सजा कर उसका पुजा करने लगेगा! वह किसी का पुजा नही करेगाँ बल्कि उनका सब पुजा करने लगेँगे! वह भगवान बन जायेगा,अगर कोई उसके गाल पर 20 चाटा लगायेगा तो वह अपना दूसरा गाल 21वेँ चाटा के लिए आगे कर देगा ! क्योँ ? जाईए हम आप किसी मंदिर मेँ जाईए और अपने चप्पल निकाल कर भगवान के प्रतिमा को 20 चप्पल मारीए ,वे कुछ नही कहेगेँ कुछ नही ,वे वहीँ पर स्थित रहेगेँ, मरीए ,भल्ले हि उनका प्रतिमा फूट जाए, गंद्दा हो जाए, लेकिन वे कुछ नही कहेँगे, जितना मारना है उतना मारीए क्योँकि वे भगवान है भगवान! उसी प्रकार जो अहिँसा के पुजारी हो जाते है वह भगवान हो जाते है, चाहे उसे जितना मारीए !जिस्म से खुन बहेगेँ, हाथ पैर टूट जायेगेँ सायद मर भी जाए फिर भी वह कुछ नही कहेगेँ क्योँकि वे भगवान के रूप हो जाते हैँ! अहिँसा के पुजारी महात्मा गाँधी भी वैसे ही पुजारी थे! जो आज हमसबोँ के बीच नही है,लेकिन उनका अहिँसा की भक्ति का फल आज तक हमसबो पर है और सदा रहेगेँ! लेकिन हम उनके पुन्यतिथी पर उनके प्रतिमा पर फूलो से गुथे हुवे माले चढा कर उनका श्रध्दांजलि देते है,लेकिन मेरा मानना हैँकि ये सच्चि श्रध्दांजलि नही है' सच्चि श्रध्दांजलि तो तब होगी जब हमसब उनके बताए हुवे मार्गोँ पर चलेगेँ ,मानव -मानव मेँ भेद नही रखगे,छुवा-छूत जैसी संर्किर्ण भावणाओँ को पनपने नही देगेँ यही सच्चि श्रध्दांजलि होगी बापू की अहिँसा की ॰! Name RSWA