Saturday, December 28, 2013

ह्में सक हैं

         ह्में सक हैं !
यह बात सोच कर बहुत इतराया करते है हम , यह बात कह कर गर्व से फुलों समाया करते है हम कि हम महान आत्माओं के वंसज है,यह कह कर गर्व से इतराया घुमा करते है हम !चलों इतराना भी अच्छी बात है,हम  महान पुर्वजों के महान वंशज है,क्यों ना इतराए ! चलों जिन पुर्वजों के कारण हम इतना इतरा रहे है,उनके अमॄत वणी को याद कर लें!
विवेक नन्द :-कहा करते थे,उँच्चे. स्थन पर खडे. होकर और हाथों में कूछ पैसा लेकर यह ना कहों -ऐ भिखारी आओं यह ले लो,परन्तु इस बात के लिए उस गरीब का उपकार मानों की उसनें तुम्हे इस संसार में तुम्हारी उदारता और  दया प्रकट करने का अवसर दिया ! उस गरिब का सौभाग्य नही कि उसे कुछ मिला ,सौभाग्य तो तुम्हारी हैंकि तुम्हारी दया प्रकट करने का उसने अवसर दिया !
पैगंबर मुहम्मद:-कहते हैंकि"इंनसान की असली दौलत तो वो अच्छे काम हैं, जो उसने दुनिया के लिए किए हैं" !
बुद्ध सिखाते हैंकि ,"सबसे बडी उपलब्धि तो दूसरो को देना ही हैं" !
तो बापू कहा करते थेंकि,उधोगपतियों को यह मानना चाहिए कि उनके पास जो धन-संपत्ति है,वे दरससल उसके ट्र्स्टी है और इसक इस्तेमाल उन्हे अपने फयदे के लिए नही ,जन-कल्यन के लिए करना चाहिए !
चलों बहुत चर्चा कर लिय,जिनके करण हम इतराया फिरा करते है हम ! लेकिन हमें सक हैंकि जिनके करण हम इतराया फिरा करते है, हम उनके वंशज है! सक है हमें,क्योंकि Science यह कहती हैकि हम पुर्वजों से ज्यादा सोच सकते है,ज्यादा कर सकते है,बौध्दिक शक्ति से ज्यादा हमारी बौध्दिक शक्ति है और हमारे आने वाले पीढ़ि और अधिक ज्ञानि होगा !
लेकिन यह भी एक अजीब पहेली हैंकि एक तरफ तो मानव सेवा प्राचिन काल से हमारी सभ्यता का एक अहम मूल्य रहा है,चहे सभी ग्रंथों,संतों, और गुरुओं के कहे वाणी ही क्यों ना हो! वाणी ही नही बल्कि वे करते भी थे!
सस्कृत की एक युक्ति है,"किसी मनुष्य का जीवन तभी महत्वपूर्ण है जब वह अपनी आमदनी से ज्यादा से ज्यादा लोगों का भरण-पोषण और कल्याण करे और अगर वह दुसरों के कल्याण के लिए ऐसा नही करता हैंतो वह जिंदा होते हुवे भी मॄत के समान है! लेकिन हमारे देश में यह एक अजीब पहेली कि तरह है!पुरे विश्व के धनी व्यक्तियों की सूची निकाली जाती है तो सबसे अधिक व्यक्ति क नाम हमारे देश से ही होता है,फिर भी हमारे देश में 38-40% लोग गरिबी रेखा से निचे निवास करते है!रही बात जन कल्याण की तो हमारे देश में 10% जन कल्याण के द्वारा लोगो को राहत पहुचाया जाता है तो वहि अमेरीक में 70-75% !तो अगर मैं यह कहता हूँ कि हमें सक हैंकि हम महान पूर्वजो के वंशज है तो मैं क्या गलत कहता हूँ!
मंदिर, मंस्जिद ------ पर हम पैसा फेंक सकते है लेकिन एक अनाथ बच्चें, गरीब लोगों का सेवा नही कर सकते है! एक कुत्ता का मालीक,घर हो सकता है,लेकिन एक अनाथ बच्चें का नही, क्यो? तो क्या हमें यह गर्व हमे अपने आप में लज्जा नही महसूस करवा रहा है ?
अगर नही तो हमें उनसे ज्यादा सूरवीर ,दानी और ज्ञाणी होना होगा !
 

Tuesday, May 7, 2013

I Want to Fly

उडने को बेताब है ये पंछी,उडने दे तू उडने देँ!
खुली आसमा, खुली आसमा उडने दे तू -उडने देँ!
ख्वाबोँ की पर है यार-उडने दे-उडने देँ, छूले ने दे आस्मा को!
उडने को है सारा जहा, अब मुझे उडने देँ-उडने को है सारा जहा ,अब मुझे उड. जाने दोँ
ऐ मेरे पंख मुझे उडने देँ-उडने की ख्वाहिश है,छुना है आसमा,अब मुझेँ उडने देँ छु लेने दे आसमा!
उँच्ची भी अपनी उडान(स्वपन) है, पंखोँ (इरादोँ) मेँ भी हाँ जान हैँ,
उडनेँ की ख्वाहिश है,छुना हैँ आसमा, जाना है दूर तक, छूनी है अपनी मंजिल,पाना है ये सारा जहा,अब मुझे उड. जाने देँ!


RSWA Hitler

Saturday, May 4, 2013

I Enjoy The Life

In the womb, A Life  Want to enjoy the beauty of enjoyable world,who make it and world.
In womb, she kicks first time she show that i am ready to enjoy the beauty of world and take Love.
When i born ,my eyes see colourful World created by God.
And that time i weep and tear fall into my eyes,that tear not only tear that my Happiness tear and i obliged to God ,who  give a chance to enjoy the Beauty of world created by him.
But who born me,she/he thought that i weeping and she/he make that time weeper.
She/he wipe my tear and his eyes say that you Welcome,you Enjoy this Life,you enjoy this World,you totally
free to do any things that you Want.


RSWA HITLER

Monday, April 22, 2013

love sex & romance


love sex & romance
पोथी पढत पढत युग गया ,पंडित भया ना कोई,अढाई अक्षर प्रेम के पढे से पंढित होई।हमारे हिन्दुस्तान मे प्रेम को पुस्तकोँ के पढाई से भी अधिक उच्चा दर्जा प्रेम यानी प्यार को दिया गया है। प्यार क्या है?प्यार एक खुबसूरत ऐहसास है, इस ऐहसास का अनुभव होते हि जिन्दग़ी जिने का मायने ही बदल जाता है। प्यार दो शुध्द आत्माओँ का मिलन होता है,जो जंम जंमांतर का साथ होता है। ये परिभाषा हमारे हिन्दुस्तन की है,लेकिन वर्तमान समय मेँ हमारे हिन्दुस्तान मे भी प्यार यानी प्रेम का अर्थSEX और ROMANCE बन कर रह गया है।यही कारण हैकि हमारे हिन्दुस्तान मे भी शादी फिर तलाख अब आम बात होती जा रही है।यह बिमारी की तरह हमारे पुरे हिन्दुस्तान को अपने चपेट मेँ लेती जा रही है।अगर इस बिमारी का जल्द इलाज हम सब मिल कर नही करेगेँ तो हमारी हिन्दस्तान जिस पहचान के लिए जानी जाती है वह पहचान छीन जायेगी, हिन्दुस्तान और बाहरी देशोँ मेँ कोई अंतर नही रह जायेगाँ, हमारा हिन्दुस्तान सीर्फ नाम बन कर एवं पुस्तको तक सीमत कर रह जायेगाँ। प्यार के अर्थ बदल जाने के कारण ही यहाँ भी ADDS जैसे खतरनाख बिमारीओँ से पिङीत व्यक्तियोँ की संख्या दिन प्रतिदिन बदती जा रही है। अर्थ के बदल जाने के कारण ही हमारे हिन्दुस्तान मे भी कुमारी अवस्था मेँ ही गर्भवत्ति हो जा रही है,आज प्रेम की शुरूवात ही SEX और ROMANCE से हो रहा है और खत्म भी।